एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
आज हम आपको एक छोटी सी कहानी सुनाते हैं, जो हमें बच्चों के महत्व और उनकी शक्ति को समझाती है।
कहानी – “सपने और संघर्ष की कहानी”
एक छोटे से गाँव में एक बच्चा रहता था, जिसका नाम अर्जुन था। अर्जुन गरीब था, लेकिन उसकी आँखों में सपने थे। उसे स्कूल जाना बहुत अच्छा लगता था, लेकिन उसके पास किताबें नहीं थीं और न ही उसका कोई अच्छा कपड़ा था। लेकिन उसकी सबसे बड़ी ताकत थी उसकी मेहनत और इरादा।
एक दिन उसकी टीचर ने बच्चों से पूछा, “बड़े होकर तुम क्या बनना चाहते हो?”
अर्जुन ने झिझकते हुए कहा, “मैं डॉक्टर बनना चाहता हूँ, ताकि मैं लोगों की मदद कर सकूँ।”
सभी बच्चों ने उसकी बात का मजाक उड़ाया, “तुम तो गरीब हो, डॉक्टर कैसे बनोगे?”
अर्जुन चुप रहा, लेकिन उसने ठान लिया कि वह कभी हार नहीं मानेगा। उसने दिन-रात मेहनत की, किताबों से दोस्ती की, और अपने सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करता रहा।
वह गाँव में छोटे-मोटे काम करता, लेकिन अपनी पढ़ाई नहीं छोड़ता। सालों बाद, अर्जुन ने मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लिया और अंततः वह एक महान डॉक्टर बन गया।
एक दिन, जब अर्जुन गाँव लौटा, तो उसने देखा कि वही बच्चे अब भी उसी तरह अपने सपनों को छोड़कर बैठकर अपने हालात को कोस रहे थे। अर्जुन ने उन्हें समझाया, “हमारे पास जो कुछ भी है, वह हमारे सपनों को हासिल करने के लिए सिर्फ एक कदम है। अगर मेहनत और विश्वास हो, तो कोई भी मुश्किल बड़ी नहीं होती।”
उस दिन से गाँव के बच्चों ने भी अपने सपनों को साकार करने का मन बना लिया। अर्जुन की कहानी ने उन्हें यह सिखाया कि सपने देखना और उनका पीछा करना ही सबसे बड़ा संघर्ष है, और यही संघर्ष किसी भी व्यक्ति को उसकी मंजिल तक पहुँचाता है।
संदेश:
बच्चों, आपके पास अनगिनत क्षमताएँ हैं। बस उन सपनों को कभी न छोड़ें और कड़ी मेहनत से उन्हें साकार करने की राह पर चलें। दुनिया में कोई भी सपना छोटा नहीं होता, और हर बच्चा एक बदलाव ला सकता है।
हैप्पी चिल्ड्रन डे! 🌟
1 Comments
Nice and very motivational story.