एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
गुरु नानक देव जी सिख धर्म के पहले गुरु और संस्थापक थे, जिनका जन्म 1469 में पंजाब के तलवंडी नामक गाँव (अब ननकाना साहिब, पाकिस्तान) में हुआ था। उनका जीवन मानवता, भाईचारे, और सच्चाई की मिसाल है। गुरु नानक जयंती उनके प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है, जो कार्तिक पूर्णिमा के दिन आता है।
गुरु नानक देव जी की कहानी
गुरु नानक जी बचपन से ही आध्यात्मिक प्रवृत्ति के व्यक्ति थे। छोटी उम्र में ही उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया था कि वह सामान्य व्यक्ति नहीं हैं। कहा जाता है कि एक बार उनके पिता ने उन्हें खेती का काम सिखाने के लिए खेत में भेजा। गुरु नानक जी ने वहाँ जाकर गरीबों और जरूरतमंदों को अनाज बांट दिया। उनके पिता ने जब पूछा कि ऐसा क्यों किया, तो उन्होंने कहा, “असली लाभ तो तब होता है जब दूसरों का भला किया जाए।”
रिवायती कथा: पानी और दूध का उदाहरण
एक अन्य प्रसिद्ध घटना में, गुरु नानक जी ने समझाया कि कैसे इंसान को सच्चाई और ईमानदारी से जीना चाहिए। कहा जाता है कि एक बार उन्होंने एक नदी में स्नान करते समय तीन दिन तक ध्यान किया और जब लौटे, तो उन्होंने कहा: “ना कोई हिन्दू, ना कोई मुसलमान; सभी एक ही ईश्वर की संतान हैं।”
उनकी यह सीख आज भी हमें एकता और समानता का संदेश देती है।
गुरु नानक जी का संदेश
- नाम जपो: ईश्वर का स्मरण करो।
- कीरत करो: ईमानदारी से मेहनत करो।
- वंड छको: दूसरों के साथ अपनी कमाई और सुख बांटो।
गुरु नानक जयंती के दिन उनके अनुयायी गुरुद्वारों में कीर्तन, भजन, और लंगर का आयोजन करते हैं। इस दिन “नगर कीर्तन” निकाला जाता है, जिसमें गुरु नानक देव जी की शिक्षाओं का प्रचार किया जाता है।
गुरु नानक जी की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं
गुरु नानक जी ने जात-पात, धर्म और भेदभाव से ऊपर उठकर एकता, करुणा और सत्य का संदेश दिया। उनका जीवन और उनकी शिक्षाएं हमें सिखाती हैं कि सच्ची पूजा मानवता की सेवा है।
गुरु नानक जयंती हमें याद दिलाती है कि हम अपने जीवन में सच्चाई, करुणा और सेवा का महत्व समझें और अपने कार्यों से समाज में प्रेम और एकता का संदेश फैलाएं।
“इक ओंकार सतनाम करता पुरख निरभऊ निरवैर।”
(ईश्वर एक है, वही सत्य है और सबका रचयिता है।)