एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
जीवन की सभी समस्याएँ मोह-माया तक सीमित हैं। जब मोह ही नहीं रहेगा, तो माया का भी अस्तित्व नहीं रहेगा।
इसका अर्थ यह है कि जीवन में जो भी दुख, चिंता या उलझनें हैं, वे अधिकतर मोह (आसक्ति) और माया (भ्रम) के कारण होती हैं। यदि व्यक्ति मोह त्याग दे, तो माया अपने-आप समाप्त हो जाती है, और मन को शांति प्राप्त होती है। यह विचार आध्यात्मिक दृष्टि से आत्मनिर्भरता और आंतरिक शांति की ओर संकेत करता है।
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1 Comments
Bahut hi achha motivation hai