दान में प्राप्त बछड़े को एक ब्राह्मण ने बड़े ही ममत्व के साथ पाला-पोसा और उसका नाम नन्दीविसाल रखा। कुछ ही दिनों में वह बछड़ा एक बलिष्ठ बैल बन गया। नन्दीविसाल बलिष्ठ ही नहीं एक बुद्धिमान और स्वामिभक्त बैल था। उसने एक दिन ब्राह्मण के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हुए कहा, ” हे ब्राह्मण ! […]
कभी किसी ने एक घमण्डी साधु को चमड़े की धोती दान में दे दी जिसे पहन कर वह साधु अपने को अन्य साधुओं से श्रेष्ठ समझाने लगा। एक दिन वह उसी वस्र को पहन कर भिक्षाटन के लिए घूम रहा था। रास्ते में उसे एक बड़ा सा जंगली भेड़ मिला। वह भेड़ पीछे को जाकर […]