एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
हिंदी भाषा में डाइवोर्स (Divorce) के लिए कोई मौलिक शब्द नहीं है। साधारणतः जो शब्द उपयोग में है, तलाक, वह अरबी भाषा से लिया गया है। हिन्दी भाषा की यह कमी (या अच्छाई) उस सांस्कृतिक और आध्यात्मिक महत्व को दर्शाती है जो हिंदू धर्म में विवाह को दिया गया है, जहाँ विवाह को केवल एक सामाजिक अनुबंध नहीं, बल्कि एक पवित्र और अनंत बंधन माना जाता है।
डाइवोर्स या तलाक़ का हिन्दी भाषा में मूल शब्द ना होना हिंदू धर्म में विवाह की पवित्रता का प्रतीक है।
हिंदू विवाह धार्मिक अनुष्ठानों और सिद्धांतों में गहराई से निहित है। विवाह के दौरान लिए गए सप्तपदी के सात वचन आजीवन प्रतिबद्धता, विश्वास और साझी जिम्मेदारियों का प्रतीक हैं। विवाह को एक ऐसा संबंध माना गया है जो केवल इस जीवन तक सीमित नहीं है, बल्कि आत्मा की प्रगति और धर्मके कर्तव्यों को पूरा करने के लिए सात जन्मों तक चलता है। ऐसे बंधन को तोड़ने की कल्पना पारंपरिक रूप से असंभव मानी जाती थी, जिससे हिंदी में तलाक के लिए किसी मूल शब्द का अभाव है।
हालांकि, आधुनिक भारतीय समाज कुछ परिस्थितियों में तलाक की आवश्यकता को स्वीकार करता है, इसे लेकर सांस्कृतिक झिझक इसी प्राचीन मान्यता से उत्पन्न होती है कि विवाह का पवित्रता और धैर्य के साथ पालन किया जाना चाहिए। हिंदी में तलाक के लिए मूल शब्द का अभाव इस वास्तविकता का इंकार नहीं है, बल्कि यह एक ऐसे दृष्टिकोण को दर्शाता है जो पारस्परिक प्रेम और साझेदारी की स्थिरता को प्राथमिकता देता है।
यह भाषाई और सांस्कृतिक विरासत आज भी आधुनिक भारत में विवाह और तलाक के प्रति सामाजिक दृष्टिकोण को प्रभावित करती है। हाँ, कुछ शब्द आज कल प्रयोग में हैं जैसे संबंध विच्छेद, पर यह तलाक़ या डाइवोर्स के पर्याय नहीं है बल्कि किसी भी संबंध में अलगाव के लिए प्रयोग किए जा सकते हैं।
इसी तरह, क्या आप जानते हैं कि हिंदी भाषा में गुडबाय (goodbye) कहने के लिए कोई मूल शब्द नहीं है? सबसे करीबी शब्द है अलविदा लेकिन यह एक अरबी/उर्दू शब्द है। हम मूल रूप से कभी गुडबाय नहीं कहते, इस भाव को व्यक्त करने के लिए अभिवादन अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग होते हैं जैसे नमस्ते, प्रणाम, राम राम, जय श्री कृष्ण…फिर मिलेंगे!
हिंदी में अलविदा क्यों नहीं कहा जाता? जानने के लिए पढ़ें “No गुडबाय” पर मेरा ब्लॉग।