एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
दिवाली का पर्व हमारे देश में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह पर्व कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है, जो इस साल 31 अक्टूबर को है। इस दिन विशेष रूप से भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। लोग अपने घरों को मिट्टी के दीपकों से सजाते हैं।
दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा बनाना एक पुरानी परंपरा है, जिसे शुभ माना जाता है। इसके पीछे एक पौराणिक कथा है, जिसमें बताया गया है कि कार्तिक माह की अमावस्या के दिन भगवान राम, सीता और लक्ष्मण अयोध्या लौटे थे। इस अवसर पर लोगों ने उनका स्वागत करने के लिए अपने घरों में घी के दीपक जलाए और मिट्टी के घरौंदे बनाए।
बहुत से लोग इस घरौंदे में मिठाई, फूल, खील और बताशे रखते हैं। इसे बनाने के लिए कुछ लोग हाथ से मिट्टी से घरौंदा बनाते हैं, जबकि अन्य इसे बाजार से खरीदते हैं। मिट्टी के घरौंदे का निर्माण विशेष महत्व रखता है, और मान्यता है कि इसे बनाने से घर में लक्ष्मी का वास होता है, जिससे सुख और समृद्धि आती है।
इसके अलावा, लोग इस मिट्टी के घरौंदे को रंग-बिरंगी पेंट से सजाते हैं और लाइट्स और दीपकों से रोशन करते हैं। इस प्रकार, दिवाली पर मिट्टी का घरौंदा बनाना एक महत्वपूर्ण और शुभ परंपरा मानी जाती है।