एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
प्राचीन और मध्यकालीन भारत ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी में कई महत्वपूर्ण योगदान दिए, जो आज भी प्रेरणा देते हैं और आधुनिक प्रगति को आकार देते हैं। गणित, खगोलशास्त्र (Astronomy), चिकित्सा, धातु विज्ञान (Metallurgy) और वास्तुकला (Architecture) में भारत की उपलब्धियाँ मानव इतिहास में मील का पत्थर हैं।
1. गणित: भारतीय गणितज्ञों ने दशमलव प्रणाली और शून्य की अवधारणा के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आर्यभट्ट (476–550 ईस्वी) जैसे प्रसिद्ध गणितज्ञ और खगोलशास्त्री ने त्रिकोणमिति (Trigonometry), बीजगणित (Algebra) और अंकगणित (Arithmetic) के क्षेत्र में महत्वपूर्ण सिद्धांत प्रस्तुत किए। उनकी पुस्तक आर्यभट्टीय में π (पाई) का अनुमान और पृथ्वी के घूर्णन का उल्लेख है, जो उस समय के लिए क्रांतिकारी विचार थे।
ब्रह्मगुप्त (598–668 ईस्वी) ने शून्य के प्रयोग को आगे बढ़ाया और ऋणात्मक संख्याओं के नियमों का वर्णन किया। उनकी कृति ब्राह्मस्फुटसिद्धांत में शून्य के साथ संचालन के नियमों का सबसे प्रारंभिक उल्लेख है। इसके अलावा, भास्कर द्वितीय (1114–1185 ईस्वी), जिन्होंने लीलावती लिखी, ने यूरोप में इसी तरह की खोजों से सदियों पहले बीजगणित (algebra) और कलन (calculus) के सिद्धांतों पर लिखा।
2. खगोलशास्त्र (Astronomy): भारत के खगोलशास्त्र में योगदान भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं। आर्यभट्ट ने पृथ्वी के गोलाकार होने और उसके अपने अक्ष पर घूमने की बात सही ढंग से बताई, जिससे दिन-रात का निर्माण होता है। उन्होंने यह भी प्रस्तावित किया कि तारों की गति पृथ्वी के घूर्णन के कारण होती है—एक विचार जो यूरोप में इसी प्रकार की खोजों से पहले ही आया था।
वराहमिहिर (505–587 ईस्वी) ने बृहत्संहिता लिखी, जो ग्रहों की स्थिति, ग्रहण और मौसम के पैटर्न जैसे विभिन्न विषयों को कवर करती है। उनके जल चक्र और बादल निर्माण पर किए गए अवलोकन उनके समय के लिए काफी उन्नत थे। भारतीय खगोलविदों ने सौर और चंद्र ग्रहणों की समझ और स्टार कैटलॉग और ग्रहों की गति का सटीक विवरण तैयार किया।
3. चिकित्सा
आयुर्वेद, भारत की पारंपरिक चिकित्सा प्रणाली, दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है, जिसकी जड़ें हजारों साल पहले तक जाती हैं। चरक संहिता और सुश्रुत संहिता जैसी पुस्तकों में सर्जरी, शरीर रचना और निदान सहित व्यापक चिकित्सा ज्ञान दिया गया है।
सुश्रुत, जिन्हें “शल्य चिकित्सा के जनक” के रूप में जाना जाता है, ने मोतियाबिंद सर्जरी, प्लास्टिक सर्जरी और जटिल प्रक्रियाओं जैसे सी-सेक्शन का वर्णन किया। सुश्रुत संहिता, जो लगभग 600 ईसा पूर्व लिखी गई थी, में 120 से अधिक सर्जिकल उपकरणों और विभिन्न सर्जिकल प्रक्रियाओं का विस्तृत वर्णन है। चरक ने आहार, जीवनशैली और प्राकृतिक उपचारों के माध्यम से रोगों के उपचार का वर्णन किया।
4. धातु विज्ञान
प्राचीन भारत धातु विज्ञान में भी उन्नत था, जिसमें धातु निष्कर्षण (Metal Extraction) और मिश्र धातु उत्पादन (Alloy Production) की गहरी समझ थी। 4वीं शताब्दी ईस्वी का दिल्ली का लौह स्तंभ इसका प्रतीक है। यह जंग-रोधी लौह स्तंभ भारत के उन्नत धातु विज्ञान ज्ञान का प्रमाण है। राजस्थान के जावर में 12वीं शताब्दी में शुद्ध जिंक उत्पादन के लिए जटिल आसवन प्रक्रिया विकसित की गई थी।
5. वास्तुकला और इंजीनियरिंग
भारतीय वास्तुकारों और इंजीनियरों ने मंदिरों, किलों और बावलियों जैसे स्मारकों के माध्यम से अपने कौशल का प्रदर्शन किया। 11वीं शताब्दी में चोल साम्राज्य द्वारा निर्मित तमिलनाडु का बृहदेश्वर मंदिर एक इंजीनियरिंग का चमत्कार है, जिसमें एक विशाल ग्रेनाइट गुंबद है जिसे बिना आधुनिक क्रेनों के उठाया गया था। विजयनगर साम्राज्य के हम्पी की जल प्रबंधन प्रणाली ने जल-गति और शहरी नियोजन की गहन समझ का प्रदर्शन किया।
कोणार्क का सूर्य मंदिर, ओडिशा में 13वीं शताब्दी में निर्मित, एक और वास्तुशिल्प चमत्कार है। इसका रथ-आकार का ढांचा और खगोलीय सिद्धांतों के साथ डिजाइन इसकी इंजीनियरिंग में गहन समझ को दर्शाता है।
खजुराहो के मंदिर 950 से 1050 ईस्वी में चंदेल राजवंश द्वारा निर्मित, अपने जटिल मूर्तियों और संरचनात्मक डिज़ाइन के लिए प्रसिद्ध हैं। रानी की वाव (रानी का बावड़ी) पाटन, गुजरात में 11वीं शताब्दी में बनाई गई, मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला के जल प्रबंधन कौशल को दर्शाती है। गोल गुम्बज बीजापुर का, एक कुशल ध्वनिकी डिज़ाइन वाला विशाल गुंबद है, जो मध्यकालीन भारतीय वास्तुकला की परिपक्वता को दर्शाता है।
प्राचीन और मध्यकालीन भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी उपलब्धियाँ उस समय की बौद्धिक श्रेष्ठता का प्रमाण हैं। गणित, खगोलशास्त्र, चिकित्सा, धातु विज्ञान और इंजीनियरिंग में भारत की उन्नति ने दुनिया भर में अन्वेषणों की नींव रखी। ये उपलब्धियाँ भारत की प्राकृतिक घटनाओं की गहरी समझ और नवाचारी भावना को दर्शाती हैं, जो मानव सभ्यता के ज्ञान में महत्वपूर्ण योगदान रही हैं।
मेरा भारत महान।
12 Comments
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