Monday January 20, 2025
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संसार का अभ्युदय किसी धर्म विशेष से नहीं हुआ है। विश्व-विधाता या सबका परमेश्वर एक ही है, हिन्दू आस्था ऐसा ही मानती और पालन करती है। सर्वधर्मसम्भाव और वसुधैवकुटुम्बकम् हिन्दू जीवन पद्धति के मूलमंत्र हैं। हिन्दूधर्म (सनातन धर्म) एक ऐसा धर्म है जो सभी धर्मों को समान मानते हुये सबका सम्मान करता है और कभी भी किसी अन्य धर्मावलंबियों को हिन्दू धर्म मानने के लिये मजबूर नहीं करता है। वैसे भी हिन्दुत्व एक धर्म न होकर जीवन जीने की पद्धति है जो बहुत आसान और खुली है जिसमें कोई दबाव नहीं कोई बन्धन नहीं और हर हिन्दू को अपनी पसन्द के अनुसार रहने, खाने-पीने, पूजा-पाठ करने या न करने, या किस की पूजा करनी है और कैसे करनी है इन सभी की आजादी है जो अन्य धर्मों में नहीं। इसके फायदे भी हैं और नुकसान भी, हिन्दू इसीलिए कभी कट्टरपंथी नहीं हो सकते।

वेद और हिन्दू धर्म वैज्ञानिक खोजबीन, प्रयोगों और तर्कों पर आधारित है जबकि अन्य धर्म सिर्फ अपने ईगो, मनमानी, अन्धविश्वास और हवा-हवाई पर आधारित हैं। उनसे आप कोई प्रश्न पूछ नहीं सकते, कुछ चैलेंज नहीं कर सकते, बहुत ज्यादा जिरह करेंगे तो गला काट दिया जायेगा क्योंकि उनके पास उत्तर देने के लिये कुछ है ही नहीं,  कोई आधार नहीं। परन्तु हिन्दू धर्म में आप अपने अलग विचार रख सकते हैं, पूजा पाठ करना या नहीं करना आपकी मर्जी.. कैसे करना है आपकी मर्जी। वहीं अन्य धर्मों में ऐसी स्वतंत्रता नहीं है परन्तु ध्यान देने वाली यह  बात तो जरूर है कि मजार, कब्रें और इन्सानी कंकाल तो किसी भी हालत में ईश्वर, अल्लाह या गाड नहीं कहे जा सकते….

सबके ईश्वर अवश्य एक है, पर यह सिर्फ हिन्दुत्व में ही बताया जाता है परन्तु कुछ अन्य धर्मावलंबी यह सोचते हैं कि उनका अल्लाह या यीशु ही सर्वोपरि हैं और उनके अलावा किसी और धर्म के अनुयायियों को इस धरती पर जीने का हक नहीं है, अतः दूसरे धर्म मानने वालों को धर्मपरिवर्तन करने को मजबूर कर दो और अगर नहीं मानते तो उनका कत्ल कर दो। आतंकवाद, जेहाद, और तरह-तरह की कुटिलता से धर्म परिवर्तन का नंगा नाच इसी संकुचित सोच का परिणाम है। हिन्दुओं ने न तो कभी दूसरे देशों पर आक्रमण कर उनको नेस्तनाबूद करने का प्रयत्न किया न ही दूसरे धर्मावलंबियों का जबरन, धोखे या षड्यंत्र से धर्म परिवर्तन कराने का कुकर्म किया….

हिन्दुओं की इसी सहिष्णुता के चलते दूसरे धर्म के ठेकेदार इन्हें साम, दाम, भय, भेद आदि से धर्मान्तरित करने के लिये सदा अपने-अपने जाल बिछाए रहते हैं। इस्लाम के अनुयायी जहां तरह-तरह के जेहाद, खूनखराबा, हिंसा और डरा धमकाकर पूरी दुनिया को इस्लामी परचम और शरिया के अन्तर्गत लाने की जद्दोजहद करते रहते हैं वहीं ईसाई मिशनरी तरह-तरह के छल बल, लालच और यदकदा हिंसा से पूरे विश्व को ईसाई बनाने के लिये प्रयत्नशील रहते हैं और शायद इसी लिये आधी दुनिया पर राज करने वाला हिन्दू आज अपने ही भारतवर्ष में अन्तिम सांसे ले रहा है फिर भी तथाकथित छद्मसेक्युलर्स, कम्युनिस्ट और कांगिये बोल रहे हैं कि हिन्दू खतरे में नहीं है। इनके हिसाब से तो पाकिस्तान और बांग्लादेश में भी हिन्दू खतरे में नहीं होगा। ऐसे लोगों का एकमात्र उद्देश्य है हिन्दुओं को मीठी नींद में सुलाये रखना ताकि आसानी से कश्मीर, केरल, और पाकिस्तान पूरे भारत में दोहराया जा सके…

हिन्दुओं को सावधान हो जाने कि आवश्यकता है और ऐसे लोगों के झांसे में तो बिल्कुल नहीं आना है। कहते हैं,”सीधे का मुंह कुत्ता चाटे”, हिन्दुओं को संगठित और प्रभावशाली होना होगा तभी दूसरे लोग हिन्दुत्व का सम्मान करेंगे, संगठन में ही बल है। इस्लामिक कट्टरपंथी और ईसाइयत के अलमबरदार लोग आप पर हमला आपका धर्म देख कर करते हैं न कि यह देखकर कि आप ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र,  एससी , एसटी  या ओबीसी  हैं। और विधर्मी लोग हिन्दुओं में हमेशा से फूट डालकर ही उन्हें नुकसान पहुंचाते रहे हैं इस लिये सब हिन्दू संगठित हों। हिन्दू आपस में मिलकर ही विधर्मियों से सुरक्षित रह सकते हैं और अपनी संस्कृति, अपने जीवन जीने की पद्धति और वैचारिक स्वतंत्रता बचाये रख सकते हैं …

अस्वीकरण: लेख में व्यक्त किए गए विचार केवल लेखक के अपने हैं और वेबसाइट के विचारों या विश्वासों को नहीं दर्शाते।

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