एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
उद्यमेन हि सिध्यन्ति कार्याणि न मनोरथैः। न हि सुप्तस्य सिंहस्य प्रवि-शन्ति मुखे मृगाः।।
यह श्लोक कर्म और प्रयास के महत्व को स्पष्ट करता है। इसका अर्थ है:
“कार्य केवल प्रयासों और परिश्रम से ही सफल होते हैं, केवल इच्छाओं या कल्पनाओं से नहीं। जैसे सोए हुए शेर के मुख में हिरण स्वयं प्रवेश नहीं करते।”
यह श्लोक हमें सिखाता है कि सफलता के लिए सक्रिय प्रयास और परिश्रम आवश्यक है। केवल इच्छाएँ या सपने देखने से ही कुछ हासिल नहीं होता; उन्हें साकार करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।
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