एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस (AMR): एक बढ़ती हुई वैश्विक चुनौती
कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।
मा कर्मफलहेतुर्भूर्मा ते संगोऽस्त्वकर्मणि॥
यह श्लोक यह सिखाता है कि हमें अपने कर्तव्यों का पालन पूरी निष्ठा और ईमानदारी से करना चाहिए, लेकिन फल की इच्छा या आसक्ति से बचना चाहिए। कर्म के प्रति समर्पण और फल के प्रति निष्काम भाव ही सच्चा योग है।
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